एक छोटी सी बच्ची।
आठ माह का विकसित गर्भ लिए बैठी है। मां ने कहा तो फ्रॉक बदलकर सूट पहन लिया। फूले
हुए पेट को दुपट्टे से छिपाने की कोशिश करती है। पर सूजा हुआ चेहरा बता देता है सबकुछ
सामान्य नहीं है। अपने छोटे से घर में बैठी ये बच्ची इंतज़ार कर रही है उस बच्चे का
जिसकी वजह से वो अब स्कूल नहीं जा पा रही। घर से बाहर खेलने नहीं जा पा रही। कहती है-डॉक्टर
ने बताया मेरे पेट में बेबी है। वो ऑपरेशन कर देंगे तो मैं स्कूल जाऊंगी। फिर से खेलूंगी।
उसकी इनोसेंस उम्मीद
जगाती है कि शायद कुछ समय बाद जीवन फिर से सामान्य हो सकेगा। बच्ची की मां का दुख उसकी आंख से बहकर गिर रहा है।
बोली-एक मां के लिए इससे बुरा हो सकता है क्या कुछ। मुझे दस दिन पहले ही पता चला ये
सब। कुछ दिन पहले स्कूल में चक्कर आ गया था इसे। हमने ध्यान नहीं दिया। सोचा उल्टा
सीधा खाने पीने से हुआ होगा। फिर घर में उल्टी हुई, तो भी हम सीरियस नहीं थे। इतनी
छोटी बच्ची को लेकर कौन मां ऐसा सोच सकती है। लेकिन अब जबकि हर आने जाने वाला मुझसे
पूछ रहा था कि बेटी का पेट ऐसे क्यों फूल रहा है तो मैंने प्रेग्नेंसी टेस्ट किया।
सच पता चला तो पांव के नीचे से ज़मीन निकल गई।
क्यों इस बच्ची की
मां को इतने दिन तक पता नहीं चला? ये सवाल अपने आप में अहम है। वो बताती हैं-मेरी बेटी
का 6 बरस की उम्र में दिल का ऑपरेशन हुआ था। 9 की उम्र में उसे पीरिएड्स आ गए। मुझे
लगा ऑपरेशन की वजह से ये बदलाव आ रहे हैं। हमने ध्यान नहीं दिया। अब सच पता चला तो हर रिश्ते पर से एतबार उठ गया है।
कौन करेगा अब किसी पर भरोसा ।
1.
बच्ची
आठ माह गर्भवती है। अबॉर्शन संभव नहीं, ऐसा डॉक्टर्स ने कहा।
2.
बच्ची
की मां को दस दिन पहले ही इस मामले की जानकारी मिली।
3.
रेप का
आरोपी जो कि बच्ची का मामा है, अरेस्ट किया जा चुका है।
4.
बच्ची
इस समय डॉक्टर्स की निगरानी में है।
5.
बच्ची
के पेरेंट्स आने वाले बच्चे को अपने पास नहीं रखना चाहते।
इस केस में सबसे ज़्यादा
ध्यान देने वाला पक्ष है उसका सुरक्षित प्रसव और उसके बाद रिहेबिलिटेशन। बच्चे को जन्म
देने के बाद उसकी शारीरिक और मानसिक हालत क्या होगी? वो एक नई ज़िंदगी शुरू कर सकेगी
या नहीं? इस समय सबसे बड़ी और अहम बात यही है, हां उसके गुनहगार को कड़ी सज़ा मिले ये
सुनिश्चित सरकार को ज़रूर करना चाहिए।
-पिछले हफ्ते इस
बच्ची और उसकी मां से मिलने के बाद से अब तक मैं दहली हुई हूं।