एक गडरिए ने अपनी सभी भेड़ों को चराने के बाद बाड़े में लाकर बंद कर दिया, सिवाय भेड़ के एक बच्चे के। जिसे वह कंधे पर बिठाकर लाया था। उसने उसे नहला-धुलाकर हरी घास खिलाई। उक्त नजारे को पास ही एक पेड़ के नीचे बैठे ईसा मसीह अपने शिष्यों सहित देख रहे थे। अंतत उन्होंने गडरिए से ऐसा करने का कारण पूछा, तो गडरिए ने उत्तर दिया-यह रोज भटक जाता है, इसलिए इसे इतना प्रेम देता हूं कि वह फिर से न भटके। यह सुनकर ईसा मसीह ने अपने शिष्यों से कहा-प्रेम के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्रेम से ही रास्ते पर आते हैं, यह तुम गडरिए से सीखो।
...............................................
कितनी सुंदर बात यहां कितनी सादगी से कही गई है। इस मासूम से प्रसंग को 23 दिसंबर के दिन दैनिक भास्कर की साप्ताहिक पत्रिका मधुरिमा में पढ़ा। यहां बांटने से खुद को रोक नहीं पाई क्योंकि प्रेम के इतने सादे और सुंदर भाव बांटने के लिए ही होते हैं। वैसे सोचो तो प्रेम मेमने सा मासूम ही तो लगता है।
...............................................
कितनी सुंदर बात यहां कितनी सादगी से कही गई है। इस मासूम से प्रसंग को 23 दिसंबर के दिन दैनिक भास्कर की साप्ताहिक पत्रिका मधुरिमा में पढ़ा। यहां बांटने से खुद को रोक नहीं पाई क्योंकि प्रेम के इतने सादे और सुंदर भाव बांटने के लिए ही होते हैं। वैसे सोचो तो प्रेम मेमने सा मासूम ही तो लगता है।