Saturday, July 20, 2013

मेरे प्रीतम को अभी परेदस है भाया हुआ

अक्‍सर महसूस होता है, मैं हज़ार बरस की हूं। इन बरसों में जीने मरने वाले हज़ारों लोगों के साथ रह चुकी हूं।  उनकी कितनी बातें हैं जो लगता है सिर्फ़ मुझसे कही जाने वाली थीं,  लेकिन या तो मैं सही जगह मौजूद नहीं थी या वो सब लोग मुझे ढूंढ नहीं पाए। मेरे रहने और सहने की क्‍या हद होगी,  खुद समझ नहीं आता। कितने ऐसे लोग हैं जिनका दर्द मुझे अपने दिल में आज भी महसूस होता है, और फिर लगता कि आखिर क्‍यों ये सब मुझसे बिना मिले चले गए....। कभी लिस्‍ट बना सकी तो बना रखूंगी ताकि शिकायत दर्ज की जा सके। फिलहाल.... ज़ोहराबाई अंबालेवाली से शिकवा दिल पर छाया हुआ है। उनका गाया एक गीत ख़ूब सुना जा रहा है। कई कई बार, लगातार। दिल नहीं भरता पर। http://www.youtube.com/watch?v=kZI4oeZFYYY
जोहराबाई यूं तो अपने पड़ोस अंबाले की ही ठहरीं लेकिन आज उनका पता ठिकाना यहां कौन बता पाता है। ज्‍़यादा से ज्‍़यादा पता चलता है कि वे अपनी बेटी रोशन कुमारी के साथ मुंबई में रहा करती थीं। फिर वही बात, कि मेरे वहां पहुंचने से पहले ही जोहराबाई भी चल निकलीं। भला ये भी कोई बात हुई.....थोड़ा तो इंतज़ार किया होता। कम से कम एक सवाल का जवाब तो देती जातीं...

जो़हराबाई मुझे तुमसे पूछना था कि ये गीत गाते हुए तुमने किसके लिए कहा था...... 
 मेरे प्रीतम को अभी परदेस है भाया हुआ....

किस तरह भूलेगा दिल उनका ख़याल आया हुआ
जा नहीं सकता कभी शीशे में बाल आया हुआ


ओ घटा, काली घटा अब के बरस तू न बरस
मेरे प्रीतम को अभी,  परेदस है भाया है
किस तरह.....

आ चमन से दूर बुलबुल जा के रोएं.... रोएं, साथ साथ
तेरा दिल भी चोट है मेरी तरह खाया हुआ
किस तरह...


खुश रहें दुनिया में वो जिसने है तोड़ा है दिल मेरा
दे रहा है ये दुआ आंखों में अश्‍क आया हुआ

किस तरह भूलेगा दिल उनका खयाल आया हुआ
जा नहीं सकता कभी शीशे में बाल आया हुआ