नींद से भरे आंख से जागे हुए....
बहुत शानदार-िदल को छू लेने वाली पंिक्तयां ।मैने भी अपने ब्लाग पर एक किवता िलखी है । समय हो तो आप पढें. आैर प्रितिक्रया भी दें-http://www.ashokvichar.blogspot.com
आपकी ब्लाग पर पहली बार आई। आपके शब्दों के खेल को पढ़ रही थी। क्या बात है शायदा। आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं।
गजब पंक्तियां
माफ़ कर देना जिगर वालों का काम है। इस चाँद के जिगर में बहुत आग है।
मैंने भी कुछ लिखा है अपने ब्लॉग अर्ज़ किया है पर ज़रूर पढ़ें
मर्म की महीन सी छुवन कीअनुभूति हुई पढ़कर !================शुक्रियाडॉ.चन्द्रकुमार जैन
इन्हें पढकर अचानक ही मन में यह पंक्तियाँ आ गयीं-सतसइया के दोहरे ज्यों नाविक के तीरदेखन में छोटे लगे घाव करें गम्भीर।बधाई।
तुम्हे पढ़कर हमेशा ही राहत महसूस होती है ,फैज कहतें हैं....सोजिशें दर्दे-दिल किसे मालूम,कौन जाने किसी के इशक का राज, बधाई,
शहादत देन वाले दा कोई क़ातल नहीं हुंदा । भावपूर्ण पंक्तियाँ. शुभकामनाएं. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.
beshaq bahut sunder panktiyan ,jeevan ki yathartha hai in panktiyom mein.shahidon kaa smaran hi pawan hai.Meri mangalkamnayen aapka hi dr.bhoopendra
कमाल कर दिया वाह
कभी कभी दो ही पंक्तियाँ रूह तक चली जातीं है....! वही असर...!
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12 comments:
बहुत शानदार-िदल को छू लेने वाली पंिक्तयां ।
मैने भी अपने ब्लाग पर एक किवता िलखी है । समय हो तो आप पढें. आैर प्रितिक्रया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
आपकी ब्लाग पर पहली बार आई। आपके शब्दों के खेल को पढ़ रही थी। क्या बात है शायदा। आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं।
गजब पंक्तियां
माफ़ कर देना जिगर वालों का काम है। इस चाँद के जिगर में बहुत आग है।
मैंने भी कुछ लिखा है अपने ब्लॉग अर्ज़ किया है पर
ज़रूर पढ़ें
मर्म की महीन सी छुवन की
अनुभूति हुई पढ़कर !
================
शुक्रिया
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
इन्हें पढकर अचानक ही मन में यह पंक्तियाँ आ गयीं-
सतसइया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर
देखन में छोटे लगे घाव करें गम्भीर।
बधाई।
तुम्हे पढ़कर हमेशा ही राहत महसूस होती है ,फैज कहतें हैं....सोजिशें दर्दे-दिल किसे मालूम,कौन जाने किसी के इशक का राज, बधाई,
शहादत देन वाले दा कोई क़ातल नहीं हुंदा ।
भावपूर्ण पंक्तियाँ. शुभकामनाएं. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.
beshaq bahut sunder panktiyan ,jeevan ki yathartha hai in panktiyom mein.shahidon kaa smaran hi pawan hai.
Meri mangalkamnayen
aapka hi
dr.bhoopendra
कमाल कर दिया वाह
कभी कभी दो ही पंक्तियाँ रूह तक चली जातीं है....! वही असर...!
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