प्रेम तब भी बाक़ी थी जब एक परित्यक्त पल में गिटार सहेज कर रख दिया गया। उसकी उदासी हमारी आंखों से ज़्यादा नम थी। आवाज़ देकर अगर उसने रुकने को कहा होता तो शायद अच्छा था...। आहूत धुनों की शर्मिन्दगी से आंख बचाते हुए हमने सारी हरी कोमल पत्तियों को बुहार दिया....ये बहुत मुश्किल, पर समझदारी का काम रहा। दिक़्क़त नहीं हुई उसे कपड़े में लपेटकर परछत्ती तक रख देने में। हमें पता था उदास गिटार बोलते नहीं ..ज्यादातर चुप रहते हैं, जब तक कि किसी स्थगित धुन के लिए दी गई क़सम उसे याद न दिला दी जाए...।
फोटो-गूगल से।
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12 comments:
गिटार प्रतीक्षारत है कि स्थगित धुन के लिए दी गई क़सम उसे याद दिला दी जाए...।
सभी पोस्ट बेहतरीन...आत्मीयता से पूर्ण , पहली बार आया ...बधाई!
उदास गिटार बोलते नहीं ..ज्यादातर चुप रहते हैं, जब तक कि किसी स्थगित धुन के लिए दी गई क़सम उसे याद न दिला दी जाए...is ek pankti me bahut si panktiyan padhi jani chahiye...
उदास गिटार बोलते नहीं ..ये पंक्ति तो डायरी में नोट हो गई...कहीं दिख जाये तो आश्चर्य मत किजियेगा-आपकी ही रहेंगी.
-अद्भुत लेखन!!
उदास गिटार भी बोलेंगे -- थोडे समय अंतराल की आवश्यकता है शायद.
गिटार उदासी के लिए नहीं होते.
धो देते हैं उदासी.
उच्छश्रृंखल होते हैं गिटार..
ये उदास गिटार इतना कह गया तो ..इसे बोलते गाते ..जरूर सुनना चाहेंगे
अजय कुमार झा
इंतजार...अफ़सोस...दुःख...उदासियां...आंसुओंसे नहाये चेहरे...तार तार जिन्दगी...धुआं धुआं शब्द...तारीक पसे मंजर...क्या पता...शायद इनसे बाहर कोई पुरउम्मीद...खुशनुमा...रौशन दुनिया भी हो ?
aapke blog aur lekhan ke bare main lambe samay se sun rakha tha. khabren to kai padhi blog aaj padha. bahut accha.. ab sampark bana rahega..
pankaj mukati
journalist
noida
एक परिपक्व मस्तिष्क की डायरी...
शानदार कहना काफी होगा ?
mn meiN kaheeN chhipi
gehri bhaavnaaoN ke liye
shaandar alfaaz ka
saada-sa leki prabhavshaali
libaas...
waah...!!
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