इसे कोताही ही कहा जाना चाहिए। क्या एक्सक्यूज हो सकता है इस बात का आपने महीनों तक अपने ही घर में आने की ज़रूरत नहीं समझी। दीवारें शिकायत कर सकती हैं, और यक़ीनन उनकी बातों का जवाब भी देना मुश्किल हो जाएगा। खै़र हमेशा की तरह इस बार भी ये कह देने में तो कोई हर्ज नहीं कि आगे से ऐसा नहीं होगा और हम इस ब्लॉग पर रेगुलर पोस्ट लिखते रहेंगे। वैसे मुझे डर है कि लोगों ने इस घर के दरवाजे़ बंद देखकर ये फैसला तो कर ही लिया होगा कि इसमें रहने वाले कहीं और चले गए हैं।
चलिए अपने ही घर में एक बार फिर दाखि़ल होकर देखते हैं.........दरवाज़ा यूं भी सिर्फ भिड़ाया हुआ था बंद नहीं था।
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5 comments:
सूना घर पड़ोसियों को हांट करता ही है ! लेकिन तय तो मकान मालिक ही करेगा कि घर कब कब आबाद रहे !
स्वागत है !
भिड़े दरवाजे कन्फ्यूज़ करते है मोहतरमा.....कभी कभी हवा वास्ते भी.....दरवाजे खोल लेने चाहिए .....
शुक्रिया दो पड़ोसियों ने तो पहचाना वापसी पर।
शुक्रिया दो पड़ोसियों ने तो पहचाना वापसी पर।
मोहल्ले का इतना संजीदा साथी बहुत दिन तक दरवाजे यूँ भिड़ाये रखे कि दस्तकों से खुले भी ना और अंदर जाया भी ना जा सके तो खयाल अलग अलग तरह के आते हैं। मगर दरवाज़ा खुलते ही बस ये खयाल रह जाता है कि " तुम आये तो सही।"
आपके लिखने पर हर बार अपनी रसीद लगा सकूँ या ना..मगर पढ़ती ज़रू हूँ....!!
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